The Unforgettable Day in My Life Essay in Hindi: मेरे इस छोटे से जीवन में भी एक ऐसा अवसर आया है, जिसकी मधुर स्मृति मेरे सदा हराभरा बनाए रखती है।
मेरे जीवन का एक अविस्मरणीय प्रसंग पर हिंदी में निबंध The Unforgettable Day in My Life Essay in Hindi
वादविवाद प्रतियोगिता
हमारे नगर के सभी स्कूलों की ‘अंतर्विद्यालय वादविवाद प्रतियोगिता’ का आयोजन हुआ था। प्रतियोगिता हमारे विद्यालय में ही होनेवाली थी। विषय था : ‘पुरुष स्त्रियों की अपेक्षा अधिक बुद्धिमान होते हैं’। अपने विद्यालय के कई छात्रों के साथ मैंने भी उसमें भाग लिया।
तैयारी
प्रतियोगिता का आवेदन पत्र भरने के बाद मैंने विषय की तैयारी शुरू कर दी। ज्यों-ज्यों प्रतियोगिता का दिन पास आ रहा था, त्यों-त्यों खुशी के साथ हृदय की धड़कन भी बढ़ती जा रही थी। तैयारी तो मैंने थोड़ी-बहुत कर ली थी, पर मन में लग रहा था कि कहीं बोलते समय बीच में ही दिमाग ठप्प न हो जाए। प्रतियोगिता के दिन विद्यालय का हॉल श्रोताओं से खचाखच भर गया था। प्रतिस्पर्धियों में छात्राएँ अधिक थीं । निर्णायक हिंदी के दो प्रसिद्ध कहानीकार थे ।
प्रतियोगिता का वर्णन
ठीक समय पर प्रतियोगिता शुरू हुई। सबसे पहले विषय के पक्ष में एक लड़का बोला। उसने हर तरह से यह सिद्ध करने की कोशिश की कि पुरुष स्त्रियों की अपेक्षा अधिक बुद्धिमान होते हैं। उसके बाद एक लड़की की बारी आई। वह तो जैसे इतिहास और पुराणों के पन्ने घोंटकर आई थी। सावित्री, द्रौपदी, रानी लक्ष्मीबाई, चाँदबीबी, इंदिरा गांधी आदि प्रसिद्ध नारियों के जीवन से उदाहरण देते हुए स्त्रियों की बुद्धिमानी और चतुराई का उसने ऐसा वर्णन किया कि सब दंग रह गए । उसके बाद दो वक्ता और आए । पाँचवाँ नाम मेरा था। जब मेरा नाम पुकारा गया तो मेरे शरीर में एक सिहरन-सी दौड़ गई। शरीर में कैंप-कैंपी शुरू हुई, खैर, जैसे-जैसे साहस बटोरकर और मंच पर पहुँचकर मैंने बोलना शुरू किया।
मेरा समर्थन और प्रसंग की अपूर्वता
मैंने साहित्य, संस्कृति, कला, विज्ञान, संगीत आदि सभी विषयों में पुरुषों के बुद्धिप्रयोगों का समुचित समर्थन किया। मैंने जोरदार शब्दों में यह सिद्ध किया कि ज्ञान-विज्ञान और सभ्यता के विकास में पुरुषों का योग स्त्रियों की अपेक्षा कई गुना अधिक है। दो-चार स्त्रियाँ तो दाल में नमक के समान ही हैं। मैं बोलता जा रहा था और बीच-बीच में तालियाँ बज रही थीं। सचमुच, मेरे जीवन में यह सबसे महत्त्वपूर्ण प्रसंग था। हृदय धड़क रहा था, पर मन नाच रहा था।
जीवन पर प्रभाव-उपसंहार
मेरे बाद शेष प्रतिस्पर्धी बोले। करीब पाँच मिनट के बाद निर्णय सुनाया गया। सफल वक्ताओं में सबसे पहला नाम मेरा था। अध्यापकों और मित्रों ने मुझ पर अभिनंदन की वर्षा की। विजेता का शील्ड मेरे विद्यालय को मिला और मुझे प्रथम पारितोषिक दिया गया। मेरे हृदय को प्रसन्नता का क्या कहना? मेरे जीवन में इसके बाद हर्ष के कई प्रसंग आए, परंतु उस दिन की खुशी तो मेरी स्मृतियों की रानी बन गई।