Accident I Saw Essay in Hindi: वह कृष्णपक्ष की मध्य रात्रि थी। परीक्षा निकट थी। मैं परीक्षा की तैयारी में लगा हुआ था। उस समय मैं हिंदी पढ़ रहा था। पानी केरा बुदबुदा अस मानुस की जात ।’ अभी इस दोहे की पहली पंक्ति भी पूरी नहीं पढ़ पाया था कि “आग… आग… दौड़ो… दौड़ो… बचाओ, बचाओ” की दर्दभरी आवाजों से वातावरण गूंज उठा।

आँखों देखी दुर्घटना हिंदी निबंध Accident I Saw Essay in Hindi
आग का दृश्य
मैं भी दौड़ा। वहाँ का दृश्य देखते ही मैं स्तब्ध रह गया । मुहल्ले के सब लोग जग गए थे। छत के ऊपर चढ़ते ही थोड़ी दूर पर आग की ऊँची-ऊँची भयानक लपटें दिखाई देने लगीं। धुएँ के बादल उमड़ रहे थे। तूफानी पवन भी आज आग से अपनी दोस्ती निभा रहा था । पूरा का पूरा मकान आग की लपटों में आ चुका था।
आग पर विजय
आग की सूचना मिलते ही दमकलों का एक काफिला वहाँ आ पहुँचा । बात ही बात में उन्होंने पास के नल में पाइपें लगा और वे जलते मकान पर पानी के फव्वारे छोड़ने लगे। दमकलों की लंबी सीढ़ियों के सहारे फायर ब्रिगेड के दो आदमी मकान में घुस गए। उन्होंने शीघ्र ही एक बेहोश औरत और दो बच्चों को नीचे उतारा । जान की बाजी लगाकर वे मौत के मुँह से लोगों को बचा रहे थे। इतने में ‘धम्म’ की भयानक आवाज के साथ मकान का दाहिना हिस्सा गिर पड़ा। देखनेवालों के दिल बैठ गए। पूरे दो घंटे के संघर्ष के बाद अग्निदेव जलदेव से परास्त हुए।
आग बुझाने के बाद का वातावरण
आग बुझ गई, लेकिन अपनी भीषणता, करुणता और संहारलीला के चिह्न छोड़ गई। वह सुंदर भवन सूना खंडहर हो गया। जली-अधजली कई चीजे चारों ओर बिखरी पड़ी थी । काली-काली अधजली दीवारें और इधर-उधर भरा हुआ पानी डरावना लगता था। दो बच्चे और एक पुरुष लापता थे। वे आग में भस्म हो चुके थे अथवा मलबे के नीचे दब गए थे। जो लोग बच गए थे, वे भी निराधार बन चुके थे और सबके सब आठ-आठ आँसू रो रहे थे। मुहल्लेवाले उनको ढाढ़स बँधा रहे थे। हजारों की माल-मिल्कियत देखते ही देखते राख की ढेरी में बदल गई थी। कैसा भीषण था वह अग्नि का तांडव!
आग लगने का कारण
घायल व्यक्तियों को तुरंत रुग्णवाहिका (एंब्युलस) द्वारा अस्पताल पहुंचाया गया। कुछ दिन बाद पता चला कि किसी नौकर ने लापरवाही से प्लास्टिक के खिलौनों की दुकान में बीड़ी का अधजला टुकड़ा फेंक दिया था ! उसी से आग लग गई थी।
प्रभाव
यह भयानक दुर्घटना देखकर मेरा दिल रो उठा। इस घटना को काफी समय गुजर चुका है, पर उस करुण, भयानक दृश्य को मैं आज तक नहीं भूल सका हूँ । जब कभी मैं कहीं आग लगने की बात सुनता हूँ तब वह सारा दृश्य मेरी आँखों के सामने नाचने लगता है और मेरे रोंगटे खड़े हो जाते है।