यदि वर्षा न होती तो हिंदी निबंध If there were no Rain Essay in Hindi: यदि वर्षा न होती, नभ में ये बादल न होते, तो पृथ्वी पर हमेशा ग्रीष्म का ही साम्राज्य होता। फिर तो सूरज आग उगलता रहता और दिनभर तन को जलानेवाली लू चलती। मनुष्य, पशु, पक्षी जैसी सजीव सृष्टि उत्पन्न ही न होती । धरती में दरारें पड़ जाती, मानो दुख के मारे उसका कलेजा फटा जाता है । वर्षा के न रहने पर सारी पृथ्वी वीरान बन जाती । यह रंगीन संसार ही बेरंग हो जाता।
अगर न नभ में बादल होते, जग की चहल-पहल पर जाती।
जल न होता, न होता जीवन, जगती नरक-आग-सी जलती।।
यदि वर्षा न होती तो हिंदी निबंध If there were no Rain Essay in Hindi
ग्रीष्म का साम्राज्य
वर्षा हमारे कृषिप्रधान भारत की भाग्यविधात्री है, अन्नपूर्णा है। यदि वर्षा न होती तो हमें भयानक अकाल का सामना करना पड़ता। हजारों लोग भूख और प्यास से तड़पते रहते । अगर बादल न होते, बरसात न होती, तो सरिताएँ कहाँ से बहती? और सरिताओं के न होने पर सभ्यता-संस्कृति कहाँ जन्म ले पाती?
वर्षा, भारत और संस्कृति
सचमुच, वर्षा के अभाव में हमें प्रकृति की अनुपम सुंदरता देखने को न मिलती । कमलों से भरे तालाब, कल-कल करते झरने, सरपट दौड़ती हुई सरिताएँ और उमड़ता हुआ सागर-सभी का चेतन और सौंदर्य नष्टप्राय हो जाता।
प्राकृतिक सुंदरता और साहित्यिक महत्त्व
वर्षा के बिना हँसती हुई कलियाँ, खिलते हुए फूल, झुमते हुए वृक्ष और हरेभरे खेत कहाँ दिखाई देते? अगर वर्षा न होती, तो न ये बादल होते और न होता उनका गर्जन-तर्जन, न होता मयूर का नर्तन और न होती पपीहे की पुकार । न होती चहल-पहल और न होती रौनक। साहित्य में वर्षा का स्थान महत्त्वपूर्ण है। “आषाढस्य प्रथम दिवसे “वाला ‘मेघदूत’ काव्य केवल महाकवि कालिदास का नहीं, वर्षा का भी उपहार है । कवियों और चित्रकारों के लिए वर्षा हमेशा प्रेरणादायिनी बनी रही है । यदि वर्षा न होती तो हमारा साहित्य अपना बहुत कुछ खो बैठा होता।
वर्षा ही जीवन है
हाँ, यह सही है कि यदि वर्षा न होती तो बड़ी-बड़ी भीषण बाढ़े न आतीं। फिर तो मच्छर और डाँस जैसे जीवाणु हमें परेशान न करते और कई बीमारियों से भी हमें छुटकारा मिल जाता। ठीक मगर वर्षा के अभाव से होनेवाले कष्टों की तुलना में इन लाभों की क्या गिनती !
उपसंहार
सचमुच, वर्षा सृष्टि का सौभाग्य है, जीवनगंगा को गंगोत्री है। हमारे जीवन में जो कुछ सुंदर वह उसी का आशीर्वाद है। अहा ! आषाढ़ की वह पहली बौछार ! प्रकृति की करुणा का अनमोल उपहार । सचमुच, यदि जीवनदायिनी वर्षा न होती तो यह सुनहरा संसार एक ऐसा नाटक बन जाता, जिसका प्रत्येक अंक दुखमय होता है।