Earthquake Essay in Hindi: भूकंप प्रकृति का एक अत्यंत भयंकर रूप है। इसके जोरदार धक्के से पलभर में महाविनाश होता है और हाहाकार मच जाता है।
भूकंप हिंदी निबंध – Earthquake Essay in Hindi
कारण
जब पृथ्वी के भीतर तरल पदार्थ अधिक गरम हो उठते हैं, तो उनकी भाप का दबाव बढ़ जाता है। यह भाप बाहर आना चाहती है और अपनी पूरी शक्ति से पृथ्वी की ऊपरी सतह को धक्का देती है तब भूकंप होता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार हमारी यह पृथ्वी सहस्र फणवाले भगवान शेषनाग के फण पर टिकी हुई है । जब पृथ्वी पापों से बोझिल हो जाती है तब शेषनाग सिहर उठते हैं, परिणामस्वरूप भूकंप होता है।
भूकंप के करुण दृश्य
भूकंप से धरती में दरार पड़ जाती हैं और उसमें से गर्म लावा तथा जहरीली वायु बाहर निकलती है। भूकंप के रूप में यह जरा-सी हलचल हजारों मनुष्यों को मौत के घाट उतार देती है। कहीं तो परिवार के परिवार नष्ट हो जाते हैं। हजारों लोग निराधार हो जाते हैं । ईंट, पत्थर के सुदृढ भवनों को भी धराशायी होते देर नहीं लगती। भूकंप से सड़कें टूट जाती है, उद्योग-धंदे और जनजीवन छिन्न-भिन्न हो जाता है। देखते ही देखते लाखों की संपत्ति और वर्षों का सृजन मिट्टी में मिल जाते हैं।
भूकंप से परिवर्तन
प्रकृति का यह तांडव हरे-भरे नगरों को शून्य खंडहरों में बदल देता है, नदियों के प्रवाह को उलट देता है, कभी पर्वत की ऊँचाई को सागर की गहराई में छिपा देता है, कभी अतल समुद्र को समतल भूमि में बदल देता है। भूकंप के कारण कभी-कभी मरुस्थल मधुर स्थल बन जाते हैं और गुलशन वीरानों में बदल जाते हैं। भूकंप के कारण प्राचीन संस्कृतियों के सर्वथा मिट्टी में मिल जाने के दृष्टांत भी मिलते हैं। विनाशकारी माना जानेवाला भूकंप कभी-कभी नई संस्कृति और सभ्यता का जन्मदाता भी बनता है !
हमारा कर्तव्य
भूकंप जैसी महाविपत्ति के समय मनुष्य की मानवता की परीक्षा होती है। साहसी मनुष्य जान की बाजी लगाकर दुखियों की सहायता करने के लिए दौड़ पड़ते हैं। वायुयानों के द्वारा भूकंप-पीड़ितों को भी मदद पहुँचाई जाती है। यही समय है, जब इन्सान को हाथ खोलकर अन्न, वस्त्र, औषध आदि से पीड़ितो की सहायता करनी चाहिए। अकेली सरकार इस भीषण दुर्घटना का पूर्णरूप से प्रतिकार नहीं कर सकती।
उपसंहार
भारत का यह दुर्भाग्य है कि उसे जब-तब भूकंप का शिकार होना पड़ता है। बिहार, अंजार, कोयना, लातूर में भयंकर भूकंप हुए थे। इस महाविनाशकारी प्राकृतिक प्रकोप को रोकने में विज्ञान को आज तक सफलता नहीं मिली है। ऐसे महासंकट के समय में हमारा यह पहला फर्ज है कि हम भूकंप-पीड़ितों की सहायता करें और अपनी मानवता का परिचय दें।