नदी-किनारे की एक संध्या पर निबंध Evening Walk by the Riverside Essay in Hindi

नदी-किनारे की एक संध्या हिंदी निबंध Evening Walk by the Riverside Essay in Hindi

हिंदी निबंध

Evening Walk by the Riverside Essay in Hindi: दीपावली की छुट्टियों में मुझे पंढरपुर जाने का मौका मिला। वहाँ मेरे कई मित्र थे। एक दिन हम चंद्रभागा नदी के किनारे शाम बिताने को निकल पड़े।

नदी-किनारे की एक संध्या पर निबंध Evening Walk by the Riverside Essay in Hindi

नदी-किनारे की एक संध्या हिंदी निबंध Evening Walk by the Riverside Essay in Hindi

प्राकृतिक वातावरण

चंद्रभागा महाराष्ट्र की प्रसिद्ध नदी है। जब हम वहाँ पहुँचे, तब सूर्य पश्चिम दिशा में पहुँच चुका था। अस्ताचल की ओर बढ़ते हुए सूर्य की किरणे अपनी तेजस्विता खो चुकी थीं। उनके कारण नदी का पानी सुनहरे लाल रंग की छटा बिखेर रहा था। शीतल मंद पवन बह रहा था। कलकल करती नदी की ध्वनि वातावरण को संगीतमय बना रही थी। मन को बड़ी शांति मिल रही थी।

नदी-किनारे के दृश्य 

नदी के तट पर काफी चहल पहल थी। पक्षी अपने घोंसलों में लौट रहे थे। वृक्षों पर उनके कलरव के स्वर गूंज रहे थे। चरवाहे गाँव की ओर लौट रहे थे और जानवरों को नदी में पानी पिला रहे थे। कुछ लड़के नदी में तैर रहे थे। नौकाविहार करनेवालों का आनंद देखते ही बनता था। नावों पर ढोलक और मंजीरे भी बज रहे थे। एक नौका का नाविक जोश में कोई लोकगीत गा रहा था। रंगबिरंगी साड़ियों में सजी महिलाएँ नदी पर दीपदान करने आई थीं।

नौकाविहार का आनंद

हमने भी एक नाव तय की। नाववाला बड़ा दिलचस्प आदमी था। जलविहार कराते कराते उसने हमें चंद्रभागा के संबंध में पुराणों में वर्णित कुछ कथाएँ सुनाई। चंद्रभागा के तट पर ही महाराष्ट्र के सुप्रसिद्ध संत तुकाराम ने स्वर्गारोहण किया था। इस बारे में भी उसने हमें विस्तार से बताया। तब तक आकाश में चाँद पूरी तरह निकल आया था और चाँदनी चारों ओर फैल गई थी। हमारे एक गायक मित्र ने अपनी सुरीली आवाज में कुछ गीत सुनाए । मैंने अपने चुटकुलों से मित्रों का मनोरंजन किया।

मंदिर-दर्शन

चंद्रभागा के पावन तट पर कई मंदिर हैं। इनमें विठ्ठल मंदिर मुख्य है। विठ्ठल को पंढरीनाथ भी कहते हैं । उन्हीं के नाम पर शहर का नाम पंढरपुर पड़ा है । विठ्ठल की मोहक मूर्ति और उसकी सजधज देखते ही बनती थी। हम मंदिर की आरती में शामिल हुए और प्रसाद लिया। सारा तट आरती के स्वरों और घंटों के नाद से गूंज उठा था।

उपसंहार

चंद्रभागा नदी के किनारे बिताई उस शाम की मीठी यादें आज भी मेरे मन को गुदगुदा देती हैं।

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