Flood Scene Essay in Hindi: सचमुच, बाढ़ लोकमाता नदी का रौद्र रूप है। जोरों की वर्षा से और पहाड़ पर जमी बर्फ पिघलकर बहने से तट-प्रदेश में बाढ़ का प्रलयंकारी तांडव नृत्य प्रारंभ हो जाता है। कभी-कभी बड़ी नदी का बाँध टूट जाने से भी एकाएक बाढ़ आती है।
बाढ के दृश्य हिंदी निबंध – Flood Scene Essay in Hindi
बाढ़ आने पर
बाढ़ का जल प्रचंड वेग से हहराता हुआ आगे बढ़ता है। उसकी क्रूर लपेट में जो कुछ आता है, वह बरबस बहाव के साथ खिंचा चला जाता है । माँ की गोद से बच्चे गिर जाते हैं, छोटे-छोटे बालक चिल्ला उठते हैं। जानवर रस्सी तुड़ाकर भागने की कोशिश करते हैं। वे दर्दभरी पुकार करते हुए भागते हैं। ऐसे समय मनुष्य की दुर्दशा की कोई सीमा नहीं रहती । कोई घर के छप्पर या वृक्ष पर चढ़ जाता है, तो कोई गाँव के पास यदि टीला अथवा ऊँची भूमि हो तो उसकी शरण लेने दौड़ता है।
बाढ़ का समय
बाढ़ के भयंकर वेग से नदी-किनारे पर खड़े बड़े-बड़े वृक्ष पलभर में मूल से उखड़कर गिर पड़ते हैं और प्रवाह में बहने लगते हैं। नदी किनारे बसी हुई बस्तियों के छोटे-छोटे मकान पानी में डूब जाते हैं और झोपड़ियों का तो नामोनिशान भी नहीं रहता । पानी का वेग और स्तर बढ़ते ही मिट्टी के कच्चे घर एकदम गिरने लगते हैं। ‘धड़ाम धड़ाम’ की आवाजों, करुण पुकारों और हाहाकार से सारा वातावरण शोकाकुल हो उठता है। डूबते हुए मनुष्य अपनी जान बचाने के लिए तिनके का सहारा ढूँढते हैं। कभी-कभी कोई साहसी उन्हें बचा लेता है, तो कभी-कभी लोग बेबस होकर देखते ही रह जाते हैं। बहुत से लोग ऊँचे और पक्के मकानों में सहारा लेने की कोशिश करते हैं । पानी की धारा में पशुओं के शव तथा साँप, बिच्छू आदि विषैले जीवजंतु भी बहते हुए नजर आते। आसपास के गांवों के लोग सहायता के लिए आ पहुँचते हैं । सरकारी तौर पर भी सहायताकार्य शुरू होता है। लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुँचाया जाता है । हैलिकोप्टरों के जरिए बाढ़पीड़ित लोगों को मदद पहुंचाई जाती है।
बाढ़ का पानी उतर जाने के बाद
बाढ़ के परिणामस्वरूप सैकड़ों-हजारों मनुष्य और पशु-पक्षी मौत के घाट उतर जाते हैं। स्त्रियाँ और बच्चे बेसहारा हो जाते हैं। बेघर लोगों का कोई शुमार नहीं रहता। उनके पास पहनने के लिए कपड़े नहीं होते, खुराक और पीने का पानी भी दुर्लभ हो जाता है। गड्डों में जमा पानी और कीचड़ को दूर करना मुश्किल हो जाता है। रास्ते और पुल टूट जाते हैं । संचार-व्यवस्था ठप हो जाती है। बाढ़ के कारण संपूर्ण जनजीवन चौपट हो जाता है और लाखों की संपत्ति मिट्टी में मिल जाती है।
हमारा कर्तव्य
सचमुच, जब नदी बाढ़ के स्वरूप में अपना रौद्र रूप दिखाती है तब सभी जगह विनाश, हाहाकार, दुख और निराशा के हृदय-द्रावक दृश्य दिखाई देते हैं।