Essay on If I were the Defence Minister of India in Hindi: किसी भी स्वतंत्र देश के लिए अपनी सुरक्षा का प्रश्न महत्त्वपूर्ण होता है। देश के संरक्षण की यह सारी जिम्मेदारी संरक्षणमंत्री पर होती है। इस दृष्टि से संरक्षणमंत्री का कार्य बड़ा महत्त्वपूर्ण है। इसलिए यदि मैं संरक्षण या प्रतिरक्षामंत्री होता तो अपने-आपको, सचमुच, बड़ा भाग्यशाली मानता, क्योंकि देशसेवा का इससे अच्छा अवसर मुझे और कैसे मिल सकता है?
यदि मैं संरक्षणमंत्री होता हिंदी निबंध Essay on If I were the Defence Minister of India in Hindi
सेना के तीनों विभागों को सुसज्जित करना
किसी भी बाहरी आक्रमण से देश की सुरक्षा करना संरक्षणमंत्री का पहला कर्तव्य है। यदि मैं संरक्षणमंत्री होता तो मैं सर्वप्रथम अपनी स्थलसेना, जलसेना और वायुसेना को आधुनिक शस्त्रास्त्रों से पूर्णतः सुसज्जित और सुव्यवस्थित करने का भरसक प्रयल करता। मैं जरूरत पड़ने पर विदेशों से आधुनिकतम शस्त्रों को प्राप्त करता, पर साथ ही मेरी यह कोशिश रहती कि देश में ही आधुनिक युद्धसामग्री का उत्पादन किया जाए। मैं सेना के तीनों विभागों के सेनापतियों से सलाह-मशविरा करके सैन्यप्रशिक्षण के लिए व्यापक और ठोस योजनाएँ बनाता।
सभी के लिए सैनिक शिक्षा
इस युग के प्रत्येक नागरिक को एक अच्छा सैनिक बनना चाहिए । इसलिए मैं स्कूल और कॉलेजों में ए. सी.सी. और एन. सी. सी. अनिवार्य बना देता । अन्य देशवासियों को सैनिकशिक्षा देने के लिए सैनिक स्कूल और कॉलों की स्थापना करवाता । इस प्रकार मैं दो विभिन्न प्रांतों में सेना की द्वितीय पंक्ति तैयार करवाता ।
गुप्तचरों का दल
संरक्षण के लिए जागरूकता बहुत जरूरी है। मैं सैनिक-गुप्तचरों का एक विशाल दल तैयार कराता। मैं उनसे वह सारी जानकारी प्राप्त करता जिनका प्रत्यक्ष या परोक्ष संबंध देश के संरक्षण से हो । देश की सभी सरहदों पर मैं सुरक्षा का पक्का बंदोबस्त करता । सरहदीय स्थानों में यातायात एवं समाचारों के आदान-प्रदान के लिए विशेष व्यवस्था करता, ताकि जरूरत पड़ने पर ठीक समय पर वहाँ सैनिक सहायता पहुँचाई जा सके।
सैनिकों की तरक्की के लिए प्रयत्न
संरक्षणमंत्री बनकर मैं सैनिकों को उचित वेतन दिलवाता । भारतीय सेना में मैं किसी प्रकार के भेदभाव को स्थान नहीं देता । युद्ध में शहीद होनेवाले सैनिकों के परिवार के पालनपोषण के लिए तथा उनके बच्चों की शिक्षा और परवरिश के लिए मैं ऐसी व्यवस्था करता, जिससे उन्हें किसी तरह की कमी महसूस न हो। इस तरह मैं देश के शहीदों की आत्मा को शांति पहुँचाने की भरसक कोशिश करता।
शांति का आदर्श
मैं किसी देश पर हमला करने का विचार तक न करता । जहाँ तक हो सके, मै सभी देशों से सहयोग और मित्रता का व्यवहार करता । बापू के अहिंसा के आदर्श को मैं सदा अपने समक्ष रखता। फिर भी अगर कोई दुश्मन मेरे देश पर आँख उठाने की हिम्मत करता, तो मैं ईंट का जवाब पत्थर से देता। सचमुच, यदि मैं संरक्षणमंत्री होता तो देश की रक्षा के लिए जी-जान से प्रयत्न करता।
काश! मैं अपनी इस अभिलाषा को पूर्ण कर सकूँ !