मेरा प्रिय पंछी : तोता हिंदी निबंध Essay On My Favorite Bird In Hindi

Essay On My Favorite Bird In Hindi: दुनिया में तरह-तरह के पंछी हैं। हरएक पंछी की अपनी-अपनी खूबियाँ हैं । मोर के पास रंगबिरंगे पंख हैं, कोयल के पास मीठी, सुरीली बोली है, कौए के पास चतुराई है, चील और बाज के पास शक्ति है। सुंदर, सफेद हंस ज्ञान और न्याय का प्रतीक है। इस तरह हरएक पंछी कुछ-न-कुछ विशेषता रखता है, लेकिन मुझे तो सभी पंछियों में तोता सबसे प्यारा लगता है।

Essay On My Favorite Bird In Hindi

मेरा प्रिय पंछी : तोता पर हिंदी में निबंध Essay On My Favorite Bird In Hindi

रंगरूप और स्वभाव

तोता एक निराला पंछी है। उसका हरा रंग, लाल चोंच, कंठ की काली पट्टी और कोमल-कोमल पंख मन को मुग्ध कर देते हैं। उसे पालना बहुत आसान है। वह शाकाहारी है। फल, मिर्च, आटा आदि से वह खुश रहता है। वह बहुत जल्दी घरेलू बन जाता है, घर में सबके साथ घुल-मिल जाता है। पिंजरे में बैठकर मनुष्य की बोली बोलनेवाला तोता, सचमुच, घर की शोभा है।

समझदारी

प्रकृति ने तोते में समझदारी कूट-कूटकर भरी है। कोई भी चीज सिखाने पर वह बहुत जल्दी सीख जाता है। दादी के साथ वह राम-राम बोलता है, बच्चों के साथ अंग्रेजी बोलता है, पैर उठाकर वह बाबूजी को सलाम करता है। वह किसी भी भाषा को सीख और बोल सकता है। उसकी बोली भी बड़ी प्यारी होती है।

विशेष गुण

घर में मेहमान के आने पर तोता उनका स्वागत करना कभी नहीं भूलता। आइए’ कहकर वह परिचित मेहमानों का स्वागत करता है। उसके मुँह से ‘नमस्ते’, ‘स्वागत’ या ‘वेल-कम सुनकर मेहमान भी बाग-बाग हो उठते हैं। वे भी उसे प्यार किए बिना नहीं रहते। वे उसकी बहुत तारीफ करते हैं।

प्राचीनता

तोता प्राचीन काल से लोगों का एक प्रिय पंछी रहा है। ऋषि-मुनि उसे अपने आश्रम में पालते थे। राजमहलों में वह शौक से पाला जाता था। ऐसा कहा जाता है कि पं. मंडन मिश्र के घर पर तो तोता और मैना आपस में संस्कृत में वाद-विवाद भी करते थे !

तोता खरीदना

एक बार मैं एक मेले में गया था। वहाँ से मैं एक तोता खरीद लाया था। आज वह मेरा प्यारा मित्र बन गया है। मैं उसे ‘आत्माराम’ कहकर बुलाता हूँ। जैसे भगवान की मनोहर मूर्ति देखकर भक्त गद्गद हो उठता है, वैसे ही आत्माराम के पिंजरे के पास बैठकर मैं आनंदित हो उठता हूँ। आत्माराम को देखकर मेरे मन को बड़ा संतोष मिलता है।

उपसंहार

ऐसा अद्भुत और आकर्षक पंछी मेरा प्रिय पंछी क्यों न हो?