मेरी प्रिय पुस्तक हिंदी निबंध My Favourite Book Essay in Hindi

My Favourite Book Essay in Hindi: मानव जीवन में अच्छी पुस्तकों का बड़ा महत्त्व है। उत्तम पुस्तके अच्छे मित्र, गुरु और मार्गदर्शक का काम करती हैं। उनके अध्ययन से हमारा ज्ञानकोश बढ़ता है, जीवन-दृष्टि विशाल बनती है और अपने व्यक्तित्व के निर्माण में सहायता मिलती है । अध्ययन के प्रति अपनी रुचि के कारण मैंने अब तक कई उत्तम पुस्तके पढ़ी हैं। मैं यह निश्चयपूर्वक कह सकता हूँ कि उन सबमें गांधीजी की आत्मकथा ‘ सत्य के प्रयोग’ ने मुझे सबसे अधिक प्रभावित किया है ।

मेरी प्रिय पुस्तक पर हिंदी में निबंध My Favourite Book Essay in Hindi

मेरी प्रिय पुस्तक पर हिंदी में निबंध My Favourite Book Essay in Hindi

लेखक की ईमानदारी

‘सत्य के प्रयोग ‘ वास्तव में गांधीजी के जीवन की प्रामाणिक तस्वीर है। इसके एक-एक प्रकरण में सत्य का उद्घाटन हुआ है। गांधीजी ने अपनी दुर्बलताओं का स्पष्ट चित्रण करते हुए ऐसे प्रेरक प्रसंग प्रस्तुत किए हैं जिन से पाठक उत्तम शिक्षा प्राप्त कर सकता है। मांसाहार, धूम्रपान, चोरी, आत्महत्या, पत्नी के प्रति कठोर व्यवहार आदि प्रसंगों में गांधीजी के स्वाभाविक रूप देखते ही बनते हैं। दक्षिण अफ्रीका में उनके स्वाभिमानी, स्वावलंबी और सत्याग्रही स्वरूप का अध्ययन करने से मालूम होता है कि उस साधारण व्यक्ति में कितने असाधारण गुण छिपे हुए थे ! इस प्रकार ‘सत्य के प्रयोग ‘ गांधीजी के जीवन का सच्चा दर्पण है।

लेखक के व्यक्तित्व की झलक

‘सत्य के प्रयोग’ या ‘आत्मकथा’ गांधीजी की जीवनयात्रा का ही नहीं, उनके व्यक्तित्व की यात्रा का भी दर्शन कराती है। इसमें हम देखते हैं कि किस तरह मोहनदास नाम का एक डरपोक, शर्मीला लड़का माता के वचनों से बँधकर, लंदन में संयम और परिश्रम से वकालत की डिग्री प्राप्त करता है, दक्षिण अफ्रीका में न्याय और मानवता की ज्योति जलाता है और अंत में भारतीय स्वतंत्रता-संग्राम के विजयी सेनापति के रूप में विश्ववंद्य बन जाता है। एक सामान्य व्यक्तित्व के असामान्य बनने की यह यात्रा जितनी रोचक है, उतनी ही प्रेरक भी है।

अनेक विषयों पर लेखक के विचार

इस पुस्तक में गांधीजी ने सत्य, अहिंसा, धर्म, भाषा, जाति-पाँति, अस्पृश्यता आदि अनेक विषयों पर अपने विचार व्यक्त किए हैं। इनसे हमें उस महामानव के चिंतन की झलक मिलती है। गांधीजी की सूक्तियाँ रामबाण की तरह मर्म पर प्रहार करती हैं।

भाषा-शैली

गांधीजी ने अपनी यह आत्मकथा इतने सहज ढंग से लिखी है कि उसकी जितनी तारीफ की जाए, उतनी कम है। सरल और छोटे-छोटे वाक्यों में उन्होंने भाषा और भाव का सारा वैभव भर दिया है। कहीं-कहीं तो उसे पढ़ने में काव्य-सा आनंद मिलता है।

प्रेरणा

इस प्रकार ‘सत्य के प्रयोग’ एक महामानव के जीवन की प्रेरक कथा है। इसमें हमारे देश के इतिहास की भी सुंदर झलकियाँ हैं। इस आत्मकथा ने लोगों के दिलों को जीत लिया है। इस पुस्तक को पढ़कर न जाने कितने लोगों के जीवन में अद्भुत परिवर्तन हुए हैं। इस पुस्तक के प्रभाव से ही मैंने कई बुराइयाँ छोड़ दी हैं जिससे मेरे चरित्र का विकास हुआ है। अब तो गांधीजी के आदर्शों पर चलना ही मेरे जीवन का ध्येय बन गया है। जिस प्रकार गांधीजी मेरे प्रिय नेता हैं, उसी प्रकार उनको आत्मकथा मेरी प्रिय पुस्तक है।