Our National Festivals Essay in Hindi: बहुत प्राचीन राष्ट्र होने के कारण भारत के लिए राष्ट्रीयता की कल्पना नई नहीं है। इसके बावजूद ब्रिटिश शासन से मुक्ति की घटना ने हमारी राष्ट्रीयता को नया परिवेश और नई ताजगी दी है । यही कारण है कि हम अपने परंपरागत धार्मिक तथा सामाजिक त्योहारों के साथ अपने राष्ट्रीय त्योहारों को भी बड़े उत्साह से मनाते हैं।
हमारे राष्ट्रीय त्योहार हिंदी निबंध – Our National Festivals Essay in Hindi
राष्ट्रीय त्योहारों का परिचय
हमारे राष्ट्रीय त्योहारों का संबंध इन महत्त्वपूर्ण घटनाओं और व्यक्तियों से है जो भारत की स्वतंत्रता और प्रगति से गहरे जुड़े हुए हैं। १५ अगस्त, १९४७ को भारत सदियों की गुलामी के बाद स्वतंत्र हुआ। इसलिए प्रतिवर्ष १५ अगस्त को हम स्वातंत्र्य दिन के रूप में मनाते हैं। २६ जनवरी, १९५० को हमारा देश सार्वभौम गणतंत्र घोषित हुआ। इस दिन की स्मृति में हम प्रतिवर्ष २६ जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाते हैं। हम गांधी जयंती, तिलक जयंती, बालदिन ( नेहरू जयंती), शहीद दिन और एकता दिन (इंदिरा गांधी जयंती) को भी राष्ट्रीय स्तर पर बड़े चाव से मनाते हैं ।
त्योहारों का वर्तमान रूप
राष्ट्रीय त्योहारों के दिन प्रायः सार्वजनिक छुट्टी होती है। स्वातंत्र्य-दिन तथा गणतंत्र दिवस पर देश के गाँव-गाँव और नगर-नगर में ध्वजवंदन के कार्यक्रम होते हैं तथा राष्ट्रगीत गाया जाता है। १५ अगस्त की प्रभातबेला में राजधानी दिल्ली में प्रधानमंत्री लाल किले पर तिरंगा फहराते हैं और राष्ट्र को संबोधित करते हैं । २६ जनवरी की पूर्वसंध्या पर राष्ट्रपति राष्ट्र के नाम अपना संदेश प्रसारित करते हैं। इस दिन दिल्ली में सांस्कृतिक झाँकियाँ देखते ही बनती हैं। गांधी जयंती पर कताई के कार्यक्रम तथा प्रार्थनाएँ आयोजित की जाती हैं। तिलक जयंती पर राष्ट्र स्वतंत्रता के महान योद्धा लोकमान्य टिळक का स्मरण करता है। बालदिन पर बच्चों के लिए विशेष कार्यक्रम होते हैं । शहीद दिन पर भूतपूर्व सैनिकों के लिए चंदा एकत्र किया जाता है । एकता दिन पर राष्ट्रीय एकता के कार्यक्रमों का आयोजन होता है।
राष्ट्रीय त्योहारों का महत्त्व
राष्ट्रीय त्योहार जनता के लिए प्रेरणा के स्रोत होते हैं । इनसे राष्ट्र में एकता और अखंडता की भावना दृढ़ होती है। सारा राष्ट्र एक रंग में रंग जाता है। एकता और राष्ट्रीयता का यह रंग हमें नए बल और उत्साह से भर देता है।
त्योहारों का आदर्श स्वरूप
हम अपने राष्ट्रीय त्योहारों को प्रतिवर्ष मनाते हैं, परंतु केवल सरकारी स्तर पर या शैक्षणिक संस्थाओं में ही थोडे बहुत उत्साह के दर्शन होते हैं । सामान्य जनता इन आयोजनों से अछूती ही रहती है। राष्ट्र का सच्चा स्वरूप तो साधारण जनता ही है। वही राष्ट्र का बल है। इसलिए हमारे राष्ट्रीय समारोहों में जनता का हृदय से शामिल होना जरूरी है । जब तक ये त्योहार जनसाधारण से नहीं जुड़ते तब तक वे सार्थक नहीं हो सकते।
उपसंहार
यह ठीक है कि स्वतंत्र भारत की जनता आज अनेक समस्याओं से पीड़ित है, परंतु उसे यह नहीं भूलना चाहिए कि भारत उसका है और वह भारत की है। इसलिए राष्ट्र के जन-जन को इन राष्ट्रीय त्योहारों को भावविभोर होकर मनाना चाहिए।