Trip to Village Essay in Hindi: गाँव भारत की आत्मा है। भारतीय सभ्यता और संस्कृति के सच्चे दर्शन इने-गिने शहरों में नहीं, किंतु लाखों गाँवों में ही हो सकते हैं । गाँवो के बारे में मैंने बहुत कुछ सुन रखा था; पर अभी तक गाँव जाने का प्रसंग नहीं आया था। अत: उसका प्रत्यक्ष अनुभव मुझे नहीं था।

गाँव की एक सैर हिंदी निबंध – Trip to Village Essay in Hindi
गाँव का वर्णन
मैं अपने एक मित्र का निमंत्रण पाकर उसके गाँव गया। गाँव पहुँचते ही पहले-पहले तो मुझे बड़ी बेचैनी महसूस हुई। वहाँ न शहरों की शोभा थी; न रोशनी; न चहल-पहल; न तड़क-भड़क ! लेकिन थोड़े ही समय में उस छोटे से गाँव में मित्र के साथ मैं अपनापन अनुभव करने लगा।
उस गाँव का नाम था कनकपुर ! उसमें लगभग चार सौ घरों की बस्ती थी। वहाँ के मकान छोटें और सुंदर थे । गाँव के बीच नया पंचायत घर’ बना हुआ था। उसके पास वृक्षों की घनी अमराई थी । गाँव के दक्षिण छोर पर स्कूल और पुस्तकालय था। गाँव के राम मंदिर में शाम-सबेरे भक्तों की बड़ी भीड़ रहती थी। सचमुच, गाँव था तो छोटा-सा, परंतु था बड़ा सुंदर !
गाँव का जीवन
ग्रामीण लोगों के जीवन में मुझे बड़ी सरलता और सादगी के दर्शन हुए। किसान बड़े सबेरे हल-बैल लेकर अपने खेतों पर चले जाते थे। ग्वाले सूर्योदय होते ही अपनी गायों को लेकर निकल पड़ते थे। सोनार, लोहार और व्यापारी भी शांति से अपने-अपने काम में लग जाते थे। गाँव के भोले-भाले लोगों में विलास या दिखावे का कहीं नाम तक नहीं था। फिर भी कितनी मिठास थी वहाँ के जीवन में कितने स्नेह से गाँववालों ने मेरा स्वागत किया था ! गाँव का-सा संतोष, सादगी, स्नेह और स्वाद मुझे शहर में कभी नहीं मिला।
गाँव का प्राकृतिक वर्णन
गाँव के उत्तर में कलकल करती हुई नदी बह रही थी। उसमें स्नान करके मैंने अपूर्व स्फूर्ति का अनुभव किया। खेतों की शोभा तो कुछ और ही थी। किसान हल चलाते थे और उनकी पत्नियाँ साथ दे रही थीं। वे धीमे स्वर में कुछ गा रहे थे। उन अनजाने गीतों मे न जाने कैसी मधुरता थी ! मैं सुनता रहा, सुनता ही रहा । वृक्षों की घटा में पंछियों के गीत, पपीहे की पुकार और कोयल की कूक सुनकर जी की कली खिल उठती थी । यहाँ मैं अपनी सारी चिंताओं को भूल गया। मुझे अनुभव हुआ, जैसे मैं किसी पवित्र यात्राधाम में आ गया हूँ।
ग्रामीण रीतिरिवाज
एक दिन मैं अपने मित्र के साथ गाँव के मुखियाजी के घर गया। उन्होंने फल-फूलों से मेरा सत्कार किया। मेरे मित्र के एक रिश्तेदार की शादी में जाने का भी मुझे मौका मिला। ग्रामीण रीतरिवाज देखकर मुझे बड़ी खुशी हुई । उसी तरह एक बार मैं पास के गाँव में मेला देखने भी गया। गाँववालों का सरल जीवन और निर्दोष मनोरंजन देखकर मुझे बड़ी प्रसन्नता हुई।
उपसंहार
न जाने पंद्रह दिन कैसे बीत गए ! गाँव की इस सैर ने मेरे जीवन में एक नया रंग भर दिया।