वर्षाऋतु हिंदी निबंध Rainy Season Essay in Hindi

Rainy Season Essay in Hindi: कवियों ने ऋतुराज वसंत की बड़ी महिमा गाई है, किंतु भारतीय जीवन में वर्षाऋतु का विशेष महत्त्व है।

वर्षाऋतु हिंदी निबंध - Rainy Season Essay in Hindi

वर्षाऋतु हिंदी निबंध – Rainy Season Essay in Hindi

वर्षा के आगमन का प्रकृति और प्राणियों पर प्रभाव

वर्षाऋतु का प्रारंभ आषाढ़ मास से होता है। वर्षा के अमृतबिंदुओं का स्पर्श होते ही धरती से सौंधी गंध उठने लगती है। कई दिनों की धरती की प्यास बुझ जाती है । वर्षा का शीतल-मधुर जल पाकर पेड़-पौधे हरे-भरे होने लगते हैं। चारों ओर हरियाली ही हरियाली छा जाती है । रंगबिरंगे फूलों पर रंगबिरंगी तितलियाँ मँडराने लगती हैं। बादलों की गड़गड़ाहट सुनकर मोर अपने मनोहर पंख फैलाकर नृत्य करने लगते हैं। पशु हरी दूब बड़े चाव से खाते हैं । पपीहे की पिऊ-पिऊ, मेढक की टर्रर्र और झींगुरों की झनकार से वातावरण भर जाता है । इंद्रधनुष की छटा देखते ही बनती है। झरनों का संगीत मन को अनोखे आह्लाद से भर देता है । वर्षा के आगमन से धरती और आसमान खुशी से झूम उठते हैं।

मनुष्यों पर प्रभाव

वर्षाऋतु में बाल-मंडलियाँ ‘हो हो’ की ध्वनि से वातावरण को गुंजित करने लगती हैं की नाव तैराने में और वर्षा की जलधाराओं में स्नान करने में उन्हें अपूर्व आनंद का अनुभव होता है। युवकों का रसिक हृदय सुख का अनुभव करता है । गाँवो की अमराइयों में झूले पड़ जाते हैं और लोग कजली तथा मल्हार गाकर अपना आनंद प्रकट करते हैं। पर वर्षाऋतू की असली खुशी तो किसानों को होती है। वे खेत जोतने और बीज बोने में लग जाते है।

वर्षा और भारत, काव्य आदि

वर्षाऋतुओं की रानी है । उसका सौम्य रूप बड़ा ही मनमोहक और कल्याणकारी है। सच तो यह है कि वर्षाऋतु हमारे कृषिप्रधान देश की भाग्यविधात्री है। वही हमारी अन्नपूर्णा और समृद्धि का महान आधार है। जलाशयों का जल उसी की देन है। प्रकृति की हरियाली का श्रेय उसे ही है। षडऋतु वर्णन और विरह-वर्णनों में कवियों ने भी वर्षाऋतु को काफी महत्त्व दिया है।

हानियाँ

कभी-कभी अतिवृष्टि के कारण फसलें बह जाती हैं। खेत के खेत नष्ट हो जाते हैं । हजारों घर गिर जाते हैं और लोग बेसहारा हो जाते हैं । वर्षाऋतु में नदियों में बाढ़ आती है, जिससे पुल तथा रास्ते टूट जाते हैं और यातायात ठप हो जाता है । लाखों-करोडों रुपयों का नुकसान होता है। कई लोग बेमौत मर जाते हैं। वर्षा के अपार जल से स्थान-स्थान पर पानी भर जाता है और गंदगी फैलती है तथा हजारों तरह के किटाणु पैदा होते हैं । मलेरिया और तरह-तरह को मौसमी बीमारियाँ फैलती है।

उपसंहार

पर इससे वर्षाऋतु का महत्त्व कम नहीं होता। वर्षाऋतु तो सृष्टि का सौभाग्य है, जीवन गंगा की गंगोत्री है। खुशियों की रानी, सुख को अधिष्ठात्री वर्षा ! तेरा सर्वदा स्वागत है !

Leave a Comment