Boating in the Moonlight Night Essay in Hindi: पूनम की गोरी गोरी रात थी । आकाश लाखों कोहिनूरों को बिखेरकर संसार को अपना ऐश्वर्य दिखा रहा था। रूपहली चाँदनी सभी जगह ऐसी छिटकी हुई थी, मानो मुस्कराता हुआ चाँद अमृत बरसा रहा हो, उसकी शीतलता तन को ही नहीं, मन को भी छू रही थी। ऐसे सुखद वातावरण में हमने नदी में नौकाविहार करने का विचार किया।
चाँदनी रात में नौकाविहार हिंदी निबंध – Boating in the Moonlight Night Essay in Hindi
तट की शोभा
नदी के किनारे लोग आनंद मना रहे थे। कोई गा रहा था, कोई चारों ओर बिखरे हुए प्राकृतिक सौदर्य में डूबा हुआ था। कुछ लोग अपने बाल-बच्चों के साथ वार्तालाप में मान थे। बच्चों की मस्ती का कहना ही क्या ! उनकी किलकारियों से सारा तट गूंज उठा था। बड़ा ही मोहक दृश्य था वह !
नौकाविहार का प्रारंभ
नदी में अपने श्वेत पाल फैलाए नावें लहरों के साथ खेल रही थी। हम भी एक नाव में सवार हो गए । नाव सरपट दौड़ने लगी, झूले की तरह झूलने लगी। सरिता की उज्ज्वल तरंगें नाव से टकराती थीं तो सुरीला संगीत सुनाई देता था। शीतल जल की बौछारें हृदय में एक नया आनंद पैदा कर देती थी।
एकाएक नाव की गति बढ़ गई। देखा तो मल्लाहों में होड़-सी लगी हुई है। सभी अस्पष्ट किंतु मधुर स्वर में गाते-गाते नावों को बड़ी तेजी से भगा रहे हैं। सभी नावें कभी इस ओर मुड़ती, कभी उस ओर कवि की कल्पना की भाँति नाव आगे बढ़ती ही जा रही थी। कैसा अपूर्व अनुभव था वह !
नौकाविहार का आनंद
इतने में पीछे से आनेवाली एक नाव हमारी नाव से जरा टकरा गई। हम सबके सब एक ओर लुढक गए, पर बाल-बाल बच गए । हमारे मल्लाह के साथ उस नाव के मल्लाह की कुछ कहासुनी भी हुई, पर चाँदनी की शीतलता में क्रोध की उष्मा अपने आप पिघल गई। दूर आकाश में चंद्रमा बहुत ही मनोहर लगता था। तट पर खड़े वृक्ष बहुत सुंदर लग रहे थे। नदी के मधुर वातावरण को छोड़ने की इच्छा नहीं थी। पर लौटना तो था ही, इसलिए मल्लाह ने नाव मोड़ दी।
वापसी
किनारे पहुँचकर हमने थोड़ी देर आराम किया और जलपान भी । न जाने आधी रात कैसे बीत गई इसका किसीको पता ही न चला। फिर हम चाँदनी रात की सैर का आनंद हृदय में भरकर छात्रावास में लौट आए।